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शक्तिपीठो मे नैमिष स्थित माँ ललिता देवी का एक विशेष अस्थान
(युगाधार समाचार )
सीतापुर – 108 देवी शक्तिपीठो मे नैमिष के मा ललिता देवी शक्ति केंद्र का अपने आप मे महत्वपूर्ण स्थान है ,देवी भागवत के अनुसार दक्षसुता के द्वारा अपने पिता से अपमानित होने के बाद जब उन्होंने अपना प्राणोत्सर्ग किया ,तब भगवान शिव सती वियोग से संतप्त हो उठे और सती शव को लेकर विचरण करने लगे ,सृष्टि का क्रम थम गया तब भगवान विष्णु ने अपने सारंग धनुष से सती शव के 108 भाग कर दिये ,वो जहा जहा गिरे वहा देवी के शक्ति पीठ स्थापित हुए ,नैमिष मे सती का हृदय स्थल गिरा इस कारण “हृदय ललिता उदरे शूल धारिणी ” यहा भी देवी पीठ बना ,इसे तंत्र ग्रंथो मे “उड़ियान पीठ ” के नाम से जाना जाता है ,
इस स्थल को लेकर कुछ और भी कथानक है ,एक कथा के अनुसार आदि शक्ति मा ललिता का प्रदुर्भाव दैत्यराज भंडासुर के विनाश के लिए हुआ ,भगवान शंकर ने कामदेव को भस्म किया तो भस्म अवसेशो से बालक गणेश की एक निर्जीव प्रतिमा बनाई ,मा पार्वती ने बालक गणेश को उस राख मूर्ति के साथ खेलते देख ये विचार किया कि यदि इसमे प्राण हो जाये तो गणेश को खेलने हेतु एक साथी मिल जायेगा ,उन्होंने भगवान शिव से उस प्रतिमा मे प्राण डालने का निवेदन किया ,शिव ने उसको बालक का स्वरुप् प्रदान कर दिया ,बालक बड़ा होकर दूषित प्रवर्तियों का हुआ और वो देवताओं से ईर्ष्या करने लगा ,उसने गणेश से देवताओं के ऐश्वर्य का रहस्य पूँछा ,गणेश ने कहा कि ये तप से सम्भव है ,उस बालक ने भी तप करके देवताओं से अजेय होने का आशीर्वाद प्राप्त किया और भंडासुर के नाम से कुख्यात हुआ ,उसका अनाचार बढ़ने लगा तब देव ब्रम्हा के पास गये उन्होंने वृहस्पति के पास जाने का मशविरा दिया ,वृहस्पति ने देवो से एक तांत्रिक यज्ञ कराया उस यज्ञ मे देवताओं ने अपने अंगों की आहुति देनी आरम्भ की और ये भी कहा कि अगर भंडासुर का विनाश न हुआ तो वो अपने शरीर की भी आहुति दे देंगे ,तभी हवन कुंड से एक अलौकिक शक्ति देवी के रूप मे प्रकट हुई जो देखने मे अतीव सुंदरी (ललित ) थी ,देवताओं ने इसका नामकरण ही मा ललिता कर दिया ,जिनके हाथो भंडासुर का अंत हुआ ,
ये भी कथा है कि भगवान ब्रम्हा ने ऋषि मुनियो की तपस्या हेतु स्थान चयन हेतु चक्र को उत्पपन्न करके भेजा तब इसी शक्ति ने साढ़े 6 पाताल भेदन के बाद उस चक्र शक्ति को रोका तभी से ये स्थल मा ललिता देवी शक्ति पीठ के रूप मे स्थापित् है ,प्रत्येक अमावश्या और नवरात्रि मे यहा लाखो श्रद्धालु मा की आराधना के लिए आते है और माता उनका कल्याण करती है ,
जिले मे मा का ये स्थल प्रमुख शक्ति साधना केंद्र के रूप मे अपनी महत्ता रखता है
साभार (आराध्य शुक्ला )