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आस्था की 84 कोसीय परिक्रमा —पांचवा दिवस
( युगाधार समाचार )
सीतापुर -84 कोसीय परिक्रमा का एक उदेश्य 84 लाख योनियों के जन्म के चक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष प्राप्ति भी है जो सनातनी संस्कृति का प्रमुख लक्ष्य और हर हिन्दु की अभिलाषा है ,ये 84 का अंक भी बड़ा महत्वपूर्ण है ,यदि आप इन अंको का योग करे तो 8+4 यानि 12 होता है और यदि 12 को 1+2 करे तो ये 3 है यानि त्री देव ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश का दर्शन ,तीन लोको की यात्रा और जीवन के तीन ऋण ऋषि ऋण ,पितृ ऋण ,गुरु ऋण से उऋण होना भी और शायद यही कारण है जो लाखो लाख श्रद्धालुवो को इस यात्रा का हिस्सा बनने की स्वतः सफूर्त प्रेरणा देता है ,
बीती रात चौथा पड़ाव गिरधरपुर उमरारी मे करने के बाद रामादल परिक्रमा पथ मे श्री अयोध्या जी की छोटी छावनी क्षेत्र से होता हुआ आगे बढ़ता है तो खालसा पंथ के लोग बड़ी संख्या मे स्वागत करते हुए मिलते है,कुछ दूरी पर हम बईतपुर् पहुंचते है जहा श्री गोवर्धन पर्वत के नाम से प्रमुख स्थल है ,इसी के साथ श्री जगन्नाथ पुरी का भी स्थान है ,जिन्होंने इस स्थल पर अपना पड़ाव किया था ,इस जगन्नाथ पुरी का आज पांचवे दिवस के पड़ाव साक्षी गोपालपुर से बड़ा नजदीकी संबंध है जिसका जिक्र आपसे कुछ देर बाद साक्षी गोपालपुर् पहुंच के करूंगा ,अभी तो चार धाम मे से एक श्री पुरी धाम के दर्शन् कर हम दही गांव पहुंचते है ,यहा पर पूरे अवध क्षेत्र का मिट्टी के बर्तनो का सबसे बड़ा मेला लगता है ,यहा अगहन माह मे भी एक विशाल मेला लगता है ,जिसमे मिट्टी के बर्तन और खिलौने काफी तादाद मे बिकते है ,इसी यात्रा मार्ग मे एक और धाम श्री बद्रीनाथ के अलावा गंगासागर तीर्थ और शेषधारा तीर्थो का भी पड़ाव स्थल है जहा श्रद्धालु दर्शन कर अपने आज के पड़ाव साक्षी गोपालपुर के लिए निकल पड़ते है ,यहा शिव मंदिर के साथ ही साक्षी और गोपाल की मूर्तिया भी है ,जहा की परम्परा है कि लोग अंक गिनती लिखकर उनको साक्षी मानकर मनोकामना पूर्ण होने की प्राथना करते है ,
श्री जगन्ननाथ पुरी और साक्षी गोपाल का अपने आप मे बड़ा घनिष्ठ संबंध है ,माना जाता है साक्षी गोपाल का मूल मंदिर श्री वृंदावन मे श्री गोविंद मंदिर के पश्चिम ने भग्नावसेश् के रूप मे है ,मान्यता है प्राचीन गोपाल जी साक्षी देने के लिए विधानगर चले गये थे ,वहा पर पधारकर श्री गोपाल जी ने जनसमाज मे ये साक्षी दी थी कि बड़े विप्र ने छोटे विप्र की सेवा से प्रशंन होकर अपनी बेटी के विवाह का वचन दिया था मै इसका साक्षी हु ,इसकी कथा इस प्रकार है तेलग देश मे गोदावरी नदी तट पर विधानगर नाम की कोटि देखि की प्राचीन राजधानी थी वहा एक वृद्ध ब्राम्हण रहते थे उनकी एक अविवाहित सुंदर बेटी थी ,उनकी इच्छा तीर्थयात्रा की हुई तो वो गांव के एक अनाथ गरीब लड़के जो भगवान का भक्त था लेकर पैदल तीर्थ यात्रा पर निकले
यात्रा मे युवक ने वृद्ध की बड़ी सेवा की, सेवा से प्रश्नन होकर वृद्ध ने वृंदावन पहुंचने पर श्री गोपाल जी के मंदिर मे कहा कि मै यात्रा पूर्ण होते ही अपनी कन्या का विवाह युवक से कर दूंगा ,दोनो यात्रा करके लौटे लेकिन युवक के गरीब होने के नाते कन्या के भाइयो ने विवाह करने से इंकार कर दिया ,युवक ने इसे अपमान मानते हुए पंचायत बुलाई पंचो ने कहा कोई गवाही दे सकते हो युवक ने कहा इन्होंने गोपाल जी के सामने कहा था ,तब पंच ने कहा क्या गोपाल जी को ला सकते हो ,युवक भक्त था वो वापस वृंदावन गया और गोपाल जी से प्राथना की ,गोपाल जी ने कहा मै चलूँगा लेकिन तुम पीछे मुड़कर मत देखना ,युवक ने पूछा मै जानूंगा कैसे कि आप आ रहे है तो गोपाल जी ने कहा कि मेरे पैरो से पायल की ध्वनि आएगी ,लेकिन नगर के समीप पहुंचते पहुंचते युवक ने पीछे मुड़कर देख लिया तो गोपाल जी वही स्थापित हो गये ,उसी समय उड़ीसा के राजा पुरषोतम देव थे जो विधानगर की राजकुमारी से विवाह करना चाहते थे ,उन्होने गोपाल जी से पुरी पधारने की प्राथना की ,उनकी सेवा से प्रश्न होकर भगवान पुरी पधारे और उन्हे श्री जगन्नाथ जी मंदिर मे स्थापित कर दिया गया लेकिन उनको लगाया जाने वाला भोग गोपाल जी पहले ही प्राप्त कर लेते इससे श्री जगनाथ जी ने स्वप्न दिया और गोपाल जी की जगह श्री सत्यनारायण जी की मूर्ति स्थापित हुई और गोपाल जी 15 किमी दूर सत्यवादी ग्राम मे पधारे तब से ये परम्परा है ,मंदिर के पास चंदन तालाब है जिसमे स्नान करने के बाद श्री गोपाल जी के दर्शन किये जाते है पुरी धाम की यात्रा का साक्षी श्री गोपाल जी को माना जाता है ,इस नाते पुरी की यात्रा करने वाले वहा भी साक्षी गोपाल अवश्य जाते है ,इसी तरह यहा भी चौथे पड़ाव के बाद आज सुबह जगन्नाथ पुरी के दर्शन करने के बाद् वहा से ठीक 15 किमी की दूरी पर स्तिथ श्री साक्षी गोपाल जी के यहा आकर आज के पांचवे दिन का पड़ाव करते है ,यहा की उबड़ खाबड़ भूमि पर भी तालाब सरोवर निर्मित है ,लोग यहा स्नान कर गोपाल जी का दर्शन् कर उन्हे अपनी यात्रा का साक्षी बनाते है ,इस स्थल के पड़ाव के बिना परिक्रमा फल ही अधूरा माना जाता है ,साक्षी गोपाल् के इसी स्थल पर श्री संखेश्वर महादेव का भी अत्यंत् प्राचीन मंदिर् है ,
आज की रात साक्षी गोपाल मे अंक गिनती लिखकर मै भी अपनी यात्रा का साक्षी श्री गोपाल जी को बनाता हु ,आज परिक्रमा का हरदोई जनपद मे अंतिम दिवस है कल सुबह् फिर गोमती स्नान कर सीतापुर जिले मे प्रवेश करेंगे ,
परिक्रमा का अर्ध वृत्त का सफऱ आज साक्षी गोपाल् तक पहुंचने पर पूरा होता है और अब तक हम द्वारिका ,बद्रीनाथ और पुरी तीन धामों के दर्शन इस परिक्रमा मे कर चुके है ,
आज की रात गोपाल जी की गवाही मे ,कल चलेंगे आगे ,तब तक यही बैकुंठी ,सीताफल और टिक्कर का आनंद लेंगे आइए आप भी
( आभार – आराध्य शुक्ला )